महाशिवरात्रि (21 फ़रवरी 2020, शुक्रवार)
कब मनाते है महाशिवरात्रि ?
हर माह की कृष्ण पक्ष चर्तुदशी को मास शिवरात्रि होती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है। इस पर्व को लेकर हिंदू मान्यताओं में एक नहीं बल्कि कई कथाओं का वर्णन है जिनमें दो सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। अंग्रेजी कैलंडर के अनुसार यह त्यौहार फरवरी या मार्च में आता है|
क्यों मनाते है महाशिवरात्रि ? महत्त्व :
प्रचलित कथाओ के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव 1 अग्नि ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे | जिसका न कोई प्रारंभ था ना कोई अंत था| यह भी कहा जाता है कि शिवलिंग का प्रारंभ देखने के लिए परमपिता ब्रह्मा ऊपर गये और श्रीहरी विष्णु अंत ढूंढने शिवलिंग के निचले भाग में गये परन्तु दोनों को ही कोई छोर प्राप्त नहीं हुआ |
दूसरी कथा के अनुसार यह भी माना जाता है कि इसी दिन माता आदिशक्ति और महादेव का विवाह हुआ था |
महाशिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती का विवाह भगवान भोले शंकर के साथ हुआ था और उन्होंने वैराग्य का त्याग कर गृहस्त जीवन का शुभारम्भ किया था |
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। महाशिवरात्रि को शिव के जन्मदिन के रूप में भी मनाने का प्रचलन है।
कुछ मान्यताएं ऐसी भी हैं कि इस दिन ही ब्रह्मा जी ने शंकर का रूद्र रूप अवतरण किया था। एक अन्य कथा के मुताबिक इस दिन ही शिव जी ने कालकूट नाम का विष पिया था, जो समुद्र मंथन से निकला था। यही वह दिन है जब शिव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। यानि साधकों के बीच भले ही इस पर्व को मनाने के कारण अलग हों लेकिन महाशिवरात्रि पर उनकी भक्ति चरम पर होती है।


पूजा विधि :
शिवरात्रि में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। उन्हें गंगाजल, घी, शहद, चीनी के मिश्रण से भोलेनाथ को स्नान कराना चाहिए। उसके बाद शिवलिंग पर चंदन लगाकर शिव जी को प्रिय अकौड़े का फूल, बेल का फल, बेलपत्र, धतूरा, शमीपत्र की पत्तियां, नैवेद्य बूल (पान के पत्ते पर लौंग, इलायची, सुपारी तथा कुछ मीठा रखकर बूल बनायें), पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद मिलाकर) और भांग आादि अर्पित करके आराधना करनी चाहिए. क्योंकि शिव भोलेनाथ भी हैं इसलिए माना जाता है कि वह अकौड़े के फूल, बेल, धतूरा आदि जैसी साधारण वस्तुओं से भी प्रसन्न हो जाते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र जाप:
यूं तो शिव जी के बीज मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप आसान और बेहद फलदायी है लेकिन महामृत्युंजय मंत्र की महिमा अलग ही है।ॐ नमः शिवाय के मंत्र जाप के अलावा महामृत्युन्जय मंत्र का जाप अत्यधिक लाभकारी होता है |
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
यह मंत्र शिव जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक इस मंत्र के नित और निरंतर जाप से मनुष्य सभी बाधाओं को पार करने में सफल होता है और सुख एवं शान्ति से अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।
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रुद्राभिषेक का महत्व :
रुद्राभिषेक की महिमा :
इस दिन रुद्राभिषेक का भी महत्व माना जाता हैं। इसमें भगवान शिव के नाम का उच्चारण कर कई प्रकार के द्रव्य पदार्थों से श्रद्धा के साथ किया जाता है। साथ ही शिव जी का स्नान कराया जाता है। यजुर्वेद में शिव रुद्राभिषेक का विवरण दिया गया है, लेकिन उसका पूर्ण रूप से पालन करना कठिन होता है, इसलिये शिव के उच्चारण के साथ ही अभिषेक की विधि करना उचित मान लिया गया है। इच्छापूर्ति के लिए इन द्रव्य पदार्थों से रुद्राभिषेक करना लाभकारी माना जाता है। हर द्रव्य का अपना अलग महत्व और फल होता है।
- गंगाजल – सौभाग्य वृद्धि के लिए
- गाय का दूध- गृह शांति व लक्ष्मी प्राप्ति के लिए
- सुगंधित तेल- भोग प्राप्ति के लिए
- सरसों का तेल- शत्रु नाश के लिए
- मीठा जल या दुग्ध- बुद्धि विकास के लिए
- घी- वंश वृद्धि के लिए
- पंचामृत- मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए
- गन्ने का रस या फलों का रस- लक्ष्मी व ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए
- छाछ- दुखों से छुटकारा पाने के लिए
- शहद- ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए |

